वो बेवफ़ा कैसे
जो कल तक हर वक़्त तुम्हारे साथ रहती थी
उसे आज तुम बेवफ़ा कैसे कह सकते हो
क्या कभी सोचा है तुमने
उसकी भी रही होंगी कुछ मजबूरियां
वर्ना जो हर लम्हे, हर पल में तुम्हारे साथ थी
वो आज अलग क्यू हो गयी
क्या तुम्हें पता है, तुमसे दूर जा कर उसके दिल पर क्या गुजरी होगी
क्या तुमने कभी जानने की भी कोशिश की
हां ये वही है ना जिसे मजाक में भी तुम्हारे फ्रेंड अगर कुछ बोल देते,
तो तुम बुरा मान जाया करते थे
फिर आज कैसे उसे तुम खुद बदनाम कर सकते हो
क्या तुम्हें पता है, जब वो तुम्हारे साथ थी, उसने कभी भी उन बातों पर ध्यान ना दिया
जो लोग उसके बारे मे कहा करते थे
जानते हो अखिर लोग क्या बोलते थे उसके बारे मे, जब वो सरे बाजार
तुम्हारे साथ घुमा करतीं
उठीं थी उंगलियाँ, कई बार उसके कैरक्टर पर
पर वो गुम सी थी तुम्हारे साथ
फर्क नहीं पड़ा कभी उसे जमाने की बातों का
जानते हो क्यु
क्यु की उसे तुम पर खुद से भी ज्यादा एतबार था
उसकी बेफिक्ररी तब तो तुम्हें अच्छी लगती
पर आज अखिर क्या बात है.
जो उसकी बेफिक्ररी तुम्हें खटकती है
हां वही जो कल तक हर बुरे वक़्त मे भी तुम्हारे साथ थी
उसे आज तुम बेवफ़ा कैसे कह सकते हो
उसे बेवफा कहने से पहले क्या तुमने उसकी मजबूरियों को जाना
अगर नहीं तो फिर वो बेवफ़ा कैसे
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